The Basic Principles Of naat lyrics in urdu
The Basic Principles Of naat lyrics in urdu
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naat sharif lyricsls
मीराँ ! वलियों के इमाम ! दे दो पंज-तन के नाम हम ने झोली है फैलाई बड़ी देर से डालो नज़र-ए-करम, सरकार ! अपने मँगतों पर इक बार हम ने आस है लगाई बड़ी देर से मेरे चाँद ! मैं सदक़े, आजा इधर भी चमक उठे दिल की गली, ग़ौस-ए-आ'ज़म ! मीराँ ! वलियों के इमाम ! दे दो पंज-तन के नाम हम ने झोली है फैलाई बड़ी देर से तेरे रब ने मालिक किया तेरे जद को तेरे घर से दुनिया पली, ग़ौस-ए-आ'ज़म ! मीराँ ! वलियों के इमाम ! दे दो पंज-तन के नाम हम ने झोली है फैलाई बड़ी देर से तेरा रुत्बा आ'ला न क्यूँ हो, कि मौला !
मीराँ ! वलियों के इमाम ! दे दो पंज-तन के नाम हम ने झोली है फैलाई बड़ी देर से डालो नज़र-ए-करम, सरकार ! अपने मँगतों पर इक बार हम ने आस है लगाई बड़ी देर से मेरे चाँद ! मैं सदक़े, आजा इधर भी चमक उठे दिल की गली, ग़ौस-ए-आ'ज़म ! मीराँ ! वलियों के इमाम ! दे दो पंज-तन के नाम हम ने झोली है फैलाई बड़ी देर से तेरे रब ने मालिक किया तेरे जद को तेरे घर से दुनिया पली, ग़ौस-ए-आ'ज़म ! मीराँ ! वलियों के इमाम ! दे दो पंज-तन के नाम हम ने झोली है फैलाई बड़ी देर से तेरा रुत्बा आ'ला न क्यूँ हो, कि मौला !
अल-मदद, पीरान-ए-पीर ! ग़ौस-उल-आ'ज़म दस्त-गीर !
हम जश्न-ए-विलादत पे दिल-ओ-जान से क़ुर्बां
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नबी का लब पर जो ज़िक्र है बे-मिसाल आया, कमाल आया !
फ़ासलों को ख़ुदा-रा ! मिटा दो जालियों पर निगाहें जमी हैं अपना जल्वा इसी में दिखा दो जालियों पर निगाहें जमी हैं फ़ासलों को ख़ुदा-रा ! मिटा दो रुख़ से पर्दा अब अपने हटा दो अपना जल्वा इसी में दिखा दो जालियों पर निगाहें जमी हैं फ़ासलों को ख़ुदा-रा ! मिटा दो जालियों पर निगाहें जमी हैं एक मुजरिम सियाह-कार हूँ मैं हर ख़ता का सज़ा-वार हूँ मैं मेरे चारों तरफ़ है अँधेरा रौशनी का तलबग़ार हूँ मैं इक दिया ही समझ कर जला दो जालियों पर निगाहें जमी हैं फ़ासलों को ख़ुदा-रा ! मिटा दो जालियों पर निगाहें जमी हैं वज्द में आएगा सारा 'आलम हम पुकारेंगे, या ग़ौस-ए-आ'ज़म वो निकल आएँगे जालियों से और क़दमों में गिर जाएँगे हम फिर कहेंगे कि बिगड़ी बना दो जालियों पर निगाहें जमी हैं फ़ासलों को ख़ुदा-रा !
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The origins of Naat were intended to become from that time. Although it’s genuinely not easy to trace back the authenticity. Naat Sharif may be composed in alternative ways. Having said that, as compared to other tributes and qasida, their distinctive attribute will be the sincere and private way where they are prepared.
Assalamwalaikum aap se guzarish hai ke oopar likhe huve publish aur mauzoo ke baare me hi comment karen, deegar rabta kar ne ke liye Call Variety use karen.
कहाँ जाए, आक़ा ! ये मँगता भला मदीना बुला लीजिए वो रमज़ान तेरा, वो दालान तेरा वो अज्वा, वो ज़मज़म, ये मेहमान तेरा तेरे दर पे इफ़्तार का वो मज़ा मदीना बुला लीजिए जहाँ के सभी ज़र्रे शम्स-ओ-क़मर हैं जहाँ पे अबू-बक्र-ओ-'उस्माँ, 'उमर हैं जहाँ जल्वा-फ़रमा हैं हम्ज़ा चचा मदीना बुला लीजिए हुआ है जहाँ से जहाँ ये मुनव्वर जहाँ आए जिब्रील क़ुरआन ले कर मुझे देखना है वो ग़ार-ए-हिरा मदीना बुला लीजिए जिसे सब हैं कहते नक़ी ख़ाँ का बेटा वो अहमद रज़ा है बरेली में लेटा उसी आ'ला
अपनी 'अता से बुलवा लिया है, मुझ पर करम मेरे रब ने किया है
मेरा कौन है? सिवाय तुम ही को? अए! प्यारे नबी (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम)
سندھ میں گاڑیوں کی رجسٹریشن اور ٹرانسفر کیلئے بائیو میٹرک تصدیق لازمی قرار